Monday, March 24, 2014

बात बनाम काम

आओ कुछ बात करें।
छोटी ही सही पर मुलाक़ात करें।
             किसी की खोट ढूंढे।
             किसी की तारीफ करे।
 चलो आज फिर किसी को याद करें।
 आओ कुछ बात करें।
      आज कौन राजनीति में ऊँचा है।
      किस नेता ने किस की कुर्सी को खीचा है।
गर्म चाय के साथ पकोड़ों की चटकार करें।
आओ कुछ बात करें।
       सुना है आज सीमा पे फिर गोली चली है।
       तिरेंगे में लिपटी किसी कि ममता आज फिर जली है।
कुछ चंद लोगो के कारण पूरी कौम को बदनाम करें।
आओ कुछ बात करें।
                    अखबारो में था आदिवासियों के गावं जले है।
                  वैसे इस हफ्ते किस सिनेमा को कितने स्टार मिले है।
  किसी के साथ कुछ भी बीते। इसकी परवाह हम क्यूँ करें।
  आओ कुछ बात करें।
              कुछ करने के लिए सही कारण का होना जरूरी है।
              सही कारण के लिए सही बातो का होना जरूरी है।
आओ अब बातो के मूल्य को सार्थक करें।
आओ कुछ काम करें।
आओ हम साथ चलें।
आओ हम युवा हैं।
अपना होना यथार्थ करें।
   AAO KUCH BAAT KAREIN ........................




Saturday, March 8, 2014

उलझन

उड़ने का है,शौक मुझे..
पर पंख कहाँ से लाऊं।।

कह तो दू बहुत कुछ मगर...
मेरी बातों को संभाल पाए ,
वे लव्ज़ कहाँ से लाऊं।।

इंतज़ार बस सुबह की थी,
तैयार तो मैं कब से था...
सुबह हुई तो उलझन में पड़ गया,
कि मैं कहाँ जाऊं।।

या तो ये बस बातो की ही बात थी,
या इन बातो में कुछ बात थी...
इन सब बातो में उलझा मैं,
ये बात किसको बताऊँ।।

कि शाम एक,हार का एहसास,
सहर एक,अनकही मजबूरी ही तो है...
मजबूरी फिर से चलने की,
फिर से लड़ने की
अब ये पूछता हूँ खुद से मैं,
की ये रात कैसे बिताऊँ।।

करू तैयारियां फिर,एक नये आगाज की...
या आज कें इस,अंजाम का गम मनाऊँ।

-आशीष